विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला बुधवार को भव्य समापन के साथ संपन्न हुआ। समापन समारोह में लोक नृत्य, हॉर्स शो और प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने मेले को भारतीय लोक संस्कृति का सजीव प्रतीक बताया।
अजमेर का विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला बुधवार को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक भव्यता के साथ संपन्न हुआ। पंद्रह दिनों तक चले इस ऐतिहासिक मेले ने देश-विदेश से आए हजारों पर्यटकों, पशुपालकों और श्रद्धालुओं को राजस्थान की लोक संस्कृति, परंपरा और ग्रामीण जीवन की झलक दिखाई।
समापन समारोह का आयोजन पुष्कर मेला मैदान में हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, अजमेर जिला कलेक्टर लोकबंधु और एडिशनल एसपी ग्रामीण डॉ. दीपक कुमार शर्मा सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
लोक संस्कृति की रंगीन छटा से मंत्रमुग्ध हुआ दर्शक वर्ग
समापन कार्यक्रम की शुरुआत लोक कला प्रस्तुतियों से हुई, जिनमें कच्ची घोड़ी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, नगाड़ा वादन और गाय प्रदर्शन जैसे पारंपरिक कार्यक्रमों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का यह प्रदर्शन मेले के मुख्य आकर्षणों में से एक रहा। विदेशी पर्यटक भी इन लोक प्रस्तुतियों का हिस्सा बने और उन्होंने कलाकारों के साथ पारंपरिक तालियों की गूंज के बीच इन पलों को कैमरे में कैद किया।
हॉर्स शो ने दिखाई राजस्थान की वीरता की झलक
समापन समारोह में आयोजित हॉर्स शो ने राजस्थान की शौर्य परंपरा को जीवंत कर दिया। सजधज कर आए घोड़ों ने अपनी फुर्ती, संतुलन और प्रशिक्षण का शानदार प्रदर्शन किया। दर्शक दीर्घा में बैठी भीड़ घोड़ों की हर चाल और करतब पर उत्साह से तालियां बजाती रही।

प्रतियोगिताओं के विजेताओं को किया गया सम्मानित
मेले के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे ऊंट सज्जा, पशु प्रदर्शन, लोक नृत्य और हस्तशिल्प प्रतियोगिताओं के विजेताओं को समारोह में मंच पर बुलाकर प्रशस्ति पत्र और ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। प्रशासन और आयोजन समिति ने इन प्रतियोगिताओं को मेले का अहम हिस्सा बताते हुए सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।

मंत्री भागीरथ चौधरी ने की आयोजन की सराहना
मुख्य अतिथि भागीरथ चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि पुष्कर मेला केवल राजस्थान का नहीं, बल्कि पूरे भारत की लोक संस्कृति और ग्रामीण जीवन का दर्पण है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है। मंत्री ने प्रशासन, पुलिस और स्थानीय नागरिकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनकी समर्पित भागीदारी के कारण यह आयोजन सफल और शांतिपूर्ण रहा।
आस्था और उल्लास के साथ संपन्न हुआ पुष्कर मेला
पंद्रह दिनों तक चली धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों के बाद पुष्कर मेला अपनी परंपरागत आस्था और उल्लास के माहौल में समाप्त हुआ। मेले के दौरान देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने ब्रह्मा सरोवर में स्नान कर पूजा-अर्चना की और लोक संस्कृति के रंगों में डूबे इस आयोजन का भरपूर आनंद उठाया।


