ब्राजील के बेलेम शहर में चल रहे UN COP30 क्लाइमेट समिट के मेन वेन्यू पर गुरुवार को आग लग गई। इसमें 13 लोग घायल हो गए। भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी आग लगने के समय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वहीं मौजूद थे। हालांकि, वे और अन्य अधिकारी सुरक्षित रूप से कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल गए।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, यह आग स्थानीय समयानुसार दोपहर 2 बजे (भारतीय समयानुसार रात 10.30 बजे) एक कन्वेंशन हॉल के अंदर एक पवेलियन में लगी थी। घटना के वक्त पवेलियन में 190 से ज्यादा देशों के 50,000 से अधिक डिप्लोमैट, पत्रकार और एक्टिविस्ट मौजूद थे।
स्थानीय दमकल विभाग के अनुसार आग शायद किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (शायद माइक्रोवेव) से लगी। हालांकि, इसके दूसरे कारणों की जांच की जा रही है।
कई किलोमीटर दूर से दिखा धुएं का गुबार
आग लगते ही हजारों लोगों के बीच अफरातफरी मच गई। घटनास्थल से आए वीडियो और तस्वीरों में लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते दिखे।
वहीं, पवेलियन से आग की लपटें और काले धुएं का गुबार उठता दिखाई दिया। धुआं कई किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता था। मौके पर कई एम्बुलेंस और फायरब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचीं और तुरंत कार्रवाई कर सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
छह मिनट में आग पर काबू पाया गया
कार्यक्रम के आयोजक UN COP30 प्रेसीडेंसी और UNFCCC ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में बताया कि लगभग छह मिनट में आग पर काबू पा लिया गया।
यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के वार्षिक COP30 क्लाइमेट समिट 10 से 21 नवंबर तक होने वाला है।
इसमें 190 से ज्यादा देशों के हजारों लोग भाग लेने पहुंचे हैं। आयोजकों ने अपने बयान में मेहमानों से कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी के लिए अगली सूचना तक इंतजार करने कहा गया है।
आग लगने से कई अहम बैठकें टली
आग की वजह से कई अहम बैठकें रद्द या टल गईं। अब सम्मेलन का समय शुक्रवार शाम तक खत्म होने की बजाय देर रात या शनिवार तक खिंच सकता है।
फिलहाल स्थल को पूरी तरह जांचने के बाद ही प्रतिनिधियों को दोबारा प्रवेश दिया जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग में सुधार को लेकर ब्राजील में हो रहा COP30 समिट
COP30 संयुक्त राष्ट्र का 30वां वार्षिक जलवायु सम्मेलन है, जो 11 से 22 नवंबर 2025 तक ब्राजील के बेलेम शहर में हो रहा है। दुनिया के लगभग सभी देशों के 56,000 से अधिक नेता, राजनयिक, वैज्ञानिक, पत्रकार और जलवायु कार्यकर्ता इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
इसका मुख्य मकसद ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए नया और मजबूत प्लान बनाना है, जिसमें ईंधन (कोयला, तेल, गैस) से पूरी तरह दूर होने का रोडमैप, गरीब देशों को जलवायु सहायता के लिए हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर तक की राशि और जंगलों-अमेजन को बचाने के बड़े फैसले शामिल हैं।


