राजभवन अब लोकभवन से जाना जाएगा। इसके साथ ही अब सरकार से जुड़ी पूरी स्टेशनरी और रिकॉर्ड में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राजभवन के साइन बोर्ड और नेम प्लेट भी बदले जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर राजभवन के ग्रुप का नाम बदलकर अब लोकभवन कर दिया गया है। बाकी हैंडल्स पर भी अब लोकभवन नाम किया जा रहा है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राजभवन का नाम लोकभवन करने की अधिसूचना जारी करने के बाद कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता से लोकतांत्रिक भारतीय संस्कृति की ओर आगे बढ़ने की दिशा में ’लोकभवन’ नामकरण बहुत बड़ी पहल है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारे देश के संविधान की उद्देशिका ही ’हम भारत के लोग’ से शुरू होती है। लोकतंत्र में लोक ही प्रमुख है, इसलिए राज्यपाल का कार्यस्थल अब ’लोकभवन’ नाम से जाना जाएगा। लोकभवन” केवल नामकरण नहीं बल्कि लोगों की भावनाओं, लोक आकांक्षाओं का प्रतीक है।
ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठेंगे राज्यपाल
18 दिसंबर, 2019 को तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र ने पुरानी परंपराओं को खत्म करते हुए ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठने का निर्णय किया था। समारोह अथवा कार्यक्रम में मंच पर राज्यपाल के लिए ऊंची कुर्सी लगाई जाती थी, लेकिन मिश्र का तर्क था कि यह अंग्रेजों के जमाने की परंपरा है।
11 साल पहले महामहिम की जगह माननीय
दिसंबर, 2014 को तत्कालीन राज्यपाल कल्याण सिंह के निर्देश पर राजभवन सचिवालय से एक आदेश निकाला गया। जिसमें राज्यपाल के आगे महामहिम की जगह हिन्दी में मानवीय राज्यपाल या राज्यपाल कर दिया गया। वहीं, अंग्रेजी में हिज एक्सीलेंसी की बजाय ऑनरेबल शब्द का प्रयोग लागू किया। इसके बाद कल्याण सिंह ने राज्यपाल की शपथ के साथ ही इसे बरकरार रखा।


