वंदे मातरम गीत के 150 साल पूरे होने पर आज सुबह जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में राज्य स्तरीय कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा- देशभक्ति का मतलब केवल नारे लगाना नहीं हैं। अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना और अपने देश को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जहां सोशल मीडिया में विदेशी संस्कृति हावी हो रही है। वहां हमें अपनी जड़ों से जुड़ा रहना होगा।
सीएम भजनलाल शर्मा जयपुर के सवाई मान स्टेडियम में वंदेमातरम गीत के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वंदेमातरम मात्र एक गीत नहीं है, यह हमारी चेतना है। यह गीत आज भी प्रासंगिक है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों और युवाओं को राष्ट्रभक्ति के मूल भावों से जोड़ना है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि वंदे मातरम आजादी की लड़ाई लड़ने वालों का युद्ध क्रांतिकारियों का सूत्र बना. वंदे मातरम आजादी से लेकर अब तक हर आंदोलन में जुबान पर रहा है. जब हम 150 वर्षों का इतिहास उत्सव मना रहे हैं तो युवाओं से आह्वान है कि हमारे इतिहास को जानें. युवा भारत का भविष्य, राष्ट्र के आशा है. इस विरासत संरक्षक हैं. इसलिए जानना जरूरी है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जब आजाद हिंद फौज की अंतरिम सरकार की घोषणा की थी तब उन्होंने वंदे मातरम गया था. क्रांतिकारी जब फांसी के तख्ते पर चढ़ते थे, तब उनके होठों पर वंदे मातरम होता था. वंदे मातरम आजादी का प्रतीक बन चुका था, जिससे अंग्रेज भयभीत हो गए थे. इस गायन को सार्वजनिक गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

भारतीयों को एकसूत्र में बांधने का काम : सीएम ने कहा कि वंदे मातरम गीत में वह शक्ति है जो लाखों भारतीयों को एक सूत्र में बांधने का काम करती है. इस गीत में सौर ऊर्जा भी है जो समूह चेतना को जागृत करने की क्षमता रखती है. यह गीत हमें हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है.

तीन बात याद रखें युवा: मुख्यमंत्री शर्मा ने युवाओं से कहा कि उन्हें तीन बातों का जानकारी होनी चाहिए. पहली बात – वो इतिहास को जानिए. जब तक आप अपने स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को नहीं जानेंगे, तब तक आप आजादी के मूल्यों को नहीं समझ पाएंगे. वंदे मातरम का इतिहास जानिए इसके हर शब्द का अर्थ समझाइए. दूसरी बात – राष्ट्र प्रेम को जीवित रखे. आज सोशल मीडिया पर विदेशी संस्कृति हावी हो रही है, उस समय हमें अपने जड़ों से जुड़ा रहना होगा. वंदे मातरम को अपने दिल में बसाना है. तीसरी बात – देशभक्ति को कर्म में बदलना है, केवल नारे लगाना काफी नहीं है. अपने कर्तव्य का ईमानदार से पालन करें, देश को आगे बढ़ाने में योगदान दें. युवा देश की भविष्य का निर्माता है इसलिए उन्हें इन तीनों बातों का ध्यान रखना है. राजस्थान के हर स्कूल – कॉलेज में वंदे मातरम की भावना को समझा जाए. उन्हें एक-एक शब्द के बारे में जागरूक किया जाए. राज्य सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगी.


