जन्मोत्सव को लेकर मंदिर और नगर सज-धज कर तैयार हैं। मंदिर का मुख्य द्वार पुष्पों से सुसज्जित होगा और बाबा का विशेष श्रृंगार रजत एवं सुवर्ण आभूषणों से किया जाएगा।
बाबा श्याम का जन्मोत्सव एक नवंबर शनिवार को पूरे भक्ति, श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। खाटूधाम में देश-दुनिया से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा है। मंदिर की गलियों से लेकर धर्मशालाओं और गेस्ट हाउसों तक जय श्री श्याम और हारे के सहारे के जयकारे गूंज रहे हैं।
तीन दिन तक श्याम नगरी आस्था, भक्ति और आनंद में सरोबार रहेगी। श्याम मंदिर कमेटी, पुलिस और पालिका व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। वहीं स्थानीय नागरिक अपने घरों, प्रतिष्ठानों, धर्मशालाओं और होटलों को विद्युत रोशनी से सजा कर खाटू को दुल्हन सी आभा देने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। मंदिर को मथुरा-वृंदावन के कलाकार शंख-चक्र और श्याम बाबा के तिलक, हारे के सहारे के जयकारे, जय श्री श्याम सहित कृष्ण भगवान के बाल स्वरूप आदि झांकियों से सजाया गया है। वहीं खाटू नगरी की अधिकतर धर्मशाला, होटल और गेस्ट हाउस भी फुल हो गई है।
कथा के अनुसार बाबा श्याम वही वीर बर्बरीक हैं, जो भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। उनके तीन बाणों के बल से संपूर्ण महाभारत युद्ध एक पल में समाप्त हो सकता था। जब श्रीकृष्ण ने उनकी प्रतिज्ञा जानी तो बर्बरीक ने कहा कि वे सदैव हारने वालों की ओर से युद्ध करेंगे। तब धर्म की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने उनसे शीश का दान मांगा। बर्बरीक ने अपना शीश दान किया और भगवान ने वरदान दिया। कलयुग में तुम मेरे नाम श्याम से पूजे जाओगे और हारे का सहारा कहलाओगे। इसी विश्वास के कारण कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से बाबा श्याम को पुकारता है, उसकी हर व्यथा मिटती है।


