उपमुख्यमंत्री तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री, दिया कुमारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप बाल विवाह मुक्त राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए राजस्थान सरकार प्रतिबद्ध है।
दिया कुमारी ने बताया कि राज्य सरकार वर्ष 2030 तक बाल विवाह के उन्मूलन के संकल्प को पूर्ण करने के लिए अग्रसर है- जिसका उद्देश्य प्रत्येक बच्चे के अधिकारों का संरक्षण, सुरक्षा तंत्रों को सुदृढ़ करना तथा बच्चों को समान अवसर और सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है।
उल्लेखनीय है कि बाल विवाह मुक्त भारत के लिए एक राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान आयोजित किया जा रहा है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी 4 दिसंबर 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली से “100 दिनों के विशेष अभियान” का शुभारंभ करेंगी। सम्पूर्ण कार्यक्रम का वेबकास्ट प्रातः 10:30 बजे से किया जाएगा।
बाल अधिकारिता आयुक्त आशीष मोदी ने बताया कि राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के सभी अधिकारी, जैसे कि डीपीओ, सीएमपीओ, सीडीपीओ, सुपरवाइजर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, हेल्पर, और ओएससी, एचईडब्ल्यू, शक्ति सदन, सखी निवास, सीसीआई, सीडब्ल्यूसी और जेजेपी आदि के अधिकारी/कर्मचारी, SHGs, PRI प्रतिनिधियों, स्वास्थ्य कर्मियों, विधिक समुदाय, शैक्षणिक संस्थानों, समुदाय के नेताओं, सेवा प्रदाताओं और सिविल सोसायटी से अनुरोध है कि वे अपने मोबाइल फोन, कार्यालय के डेस्कटॉप, लैपटॉप या टैबलेट के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हों। यह भी सुनिश्चित करें कि सभी पीएचसी, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को भी इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निर्देशित किया गया है। समूह भागीदारी के लिए कार्यालयों, सम्मेलन कक्षों या ऑडिटोरियम में व्यवस्था की जा सकती है ताकि अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जा सकने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के निर्देश अनुसार ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, पंचायती राज, कृषि, कौशल विकास, शिक्षा, संस्कृति, युवा और खेल आदि जैसे विभागों को निर्देश दें कि वे अपने अधिकारियों, कर्मचारियों, क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों, जैसे कि महिला स्वयं सहायता समूह, My Bharat स्वयंसेवक और शिक्षकों को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह भी सुझाव दिया जाता है कि इस कार्यक्रम को कॉमन सर्विस सेंटर, पंचायत और स्थानीय निकायों में प्रसारित किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें।
बाल विवाह मुक्त भारत मिशन—
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर प्रारंभ किए गए बाल विवाह मुक्त भारत मिशन में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा तथा सामुदायिक जनभागीदारी जैसे बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेपों पर विशेष बल दिया गया है। इसी क्रम में, बाल अधिकारिता विभाग द्वारा अप्रैल 2025 में बाल विवाह मुक्त राजस्थान अभियान प्रारंभ किया गया। यह राज्य-स्तरीय अभियान बाल विवाह के उन्मूलन हेतु केंद्रित रणनीतियों एवं लक्ष्य-निर्धारित पहलों के माध्यम से इस मिशन को आगे बढ़ाते हुए विकसित भारत @ 2047 के व्यापक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
इस मिशन का केंद्र बिंदु सशक्त स्थानीय नेतृत्व के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को मजबूत बनाना है। यह अभियान एक जन आंदोलन के रूप में संचालित किया जा रहा है, जिसमें उप मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर, विधायक, पंचायती राज प्रतिनिधि, सिविल सोसायटी संस्थाएँ तथा समुदाय-स्तरीय प्रभावी व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
पिछले वर्षों में राजस्थान ने बाल विवाह की रोकथाम के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 एवं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार राज्य में बाल विवाह की प्रसार दर 35.4% से घटकर 25.4% हो गई है। यह गिरावट समुदायों, सिविल सोसायटी संगठनों तथा विभिन्न सरकारी विभागों के साझा प्रयासों का परिणाम है, जो बाल अधिकारों एवं बाल कल्याण को सुनिश्चित करने हेतु समन्वित रूप से कार्यरत हैं।
बाल अधिकारिता विभाग की जमीनी स्तर पर सहभागिता को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका—
बाल अधिकारिता विभाग ने जमीनी स्तर पर सहभागिता को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं, विद्यालयों तथा पंचायती राज संस्थाओं को क्षमता-वर्धन प्रशिक्षण, सामग्रियों एवं संचार संसाधनों से समर्थित किया गया है, जिससे जागरूकता बढ़ाने और समुदाय को सक्रिय रूप से अभियान से जोड़ने में सहायता मिली है। इन प्रयासों के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक सामुदायिक सदस्यों तथा 3 लाख से अधिक विद्यार्थियों से सार्थक संवाद स्थापित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप बाल विवाह मुक्त राजस्थान के लक्ष्य की दिशा में कार्यरत युवा अग्रदूतों एवं सामुदायिक समर्थकों का एक उभरता हुआ नेटवर्क तैयार हुआ है।
राजस्थान का दृष्टिकोण एक समन्वित एवं बहु-विभागीय ढांचे पर आधारित है, जिसका उद्देश्य क्रियान्वयन को और सुदृढ़ करते हुए ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जहाँ प्रत्येक बच्चा सुरक्षित, सक्षम हो और बाल विवाह के जोखिम से पूर्णतः मुक्त रह सके।


