पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति को गीता से लेकर केसर तक पारंपरिक-आधुनिक उपहार दिए हैं। इन उपहारों को भारत की पहचान, परंपरा और आधुनिक संवेदनाओं का मिश्रण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पुतिन को दिए गए ये प्रतीकात्मक उपहार दोनों देशों की दोस्ती को नए दौर में और मजबूती से आगे बढ़ाने का संदेश देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान भारत की विरासत, संस्कृति और कारीगरी को दर्शाने वाले कई खास उपहार भेंट किए। ये उपहार केवल वस्तुएं नहीं बल्कि भारत और रूस के बीच पुरानी दोस्ती, परंपरा और विश्वास के प्रतीक माने जा रहे हैं। इस उपहार सूची में भारतीय कला, कृषि, साहित्य और शिल्प कौशल की झलक साफ दिखाई देती है, जो भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है।

रूसी भाषा में श्रीमद्भगवद गीता
महाभारत का हिस्सा और विश्वभर में आध्यात्मिक मार्गदर्शक मानी जाने वाली गीता का रूसी अनुवाद राष्ट्रपति पुतिन के लिए एक विशेष भावनात्मक उपहार माना जा रहा है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए कर्तव्य, आत्मा, धर्म और मोक्ष के संदेश दर्ज हैं। यह ग्रंथ आज भी दुनिया भर में मानवीय मूल्यों और आत्मिक शांति का स्रोत है।
कश्मीर का केसर
कश्मीर की ऊंचाई वाले इलाकों में उगने वाला ‘कांग’ या ‘जफरान’ दुनिया में सबसे उम्दा केसर माना जाता है। इसका रंग, स्वाद और सुगंध इसे अनोखा बनाता है। जीआई टैग और ओडीओपी की मान्यता पाने वाला यह केसर वहां के किसानों की मेहनत और पारंपरिक खेती की पहचान है। इसे रेड गोल्ड यानी लाल सोना भी कहा जाता है।

आगरा का संगमरमर शतरंज सेट
आगरा के कारीगरों द्वारा बनाए गए इस शतरंज सेट में संगमरमर पर नाजुक इनले कार्य किया गया है। ओडीओपी पहल और पारंपरिक नक्काशी कला का सुंदर मेल यह शतरंज सेट एक उपयोगी वस्तु के साथ-साथ सजावटी कला का हिस्सा भी है। इसका डिज़ाइन उत्तर भारत की समृद्ध कलाकारी की झलक देता है।
महाराष्ट्र की सिल्वर हॉर्स मूर्ति
हाथ से बनी इस चांदी की घोड़े की प्रतिमा पर की गई सूक्ष्म कारीगरी भारतीय धरोहर और धातु कला का प्रतिनिधित्व करती है। घोड़ा साहस, शक्ति और आगे बढ़ने की सोच का प्रतीक माना जाता है। इसे भारत-रूस संबंधों के लगातार प्रगति और मजबूती की ओर बढ़ते कदम का रूपक भी बताया जा रहा है।

मुर्शिदाबाद की सिल्वर टी सेट
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बनी यह चांदी की चाय सेट बारीक नक्काशी और पारंपरिक शिल्प कौशल का अद्भुत उदाहरण है। भारत और रूस दोनों ही देशों में चाय सिर्फ पेय नहीं, बल्कि संवाद, अपनापन और सांस्कृतिक मेलजोल का माध्यम मानी जाती है। यह सेट उसी भावना का प्रतीक है।
असम की फाइन ब्लैक टी
असम के उपजाऊ ब्रह्मपुत्र घाटी से आने वाली इस खास काली चाय की पहचान इसके गहरे स्वाद, खुशबू और गाढ़े रंग के लिए होती है। इसे 2007 में जीआई टैग मिला था, जो इसकी विशिष्टता और असली पहचान को प्रमाणित करता है। यह चाय पारंपरिक तरीके से बनाई जाती है और स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद मानी जाती है।


