अयोध्या। दीपोत्सव पर रामनगरी न केवल लाखों दीपों की रोशनी में नहाएगी, बल्कि राज्य की लोक कला, परंपरा और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम भी प्रस्तुत करेगी। इस साल राम की पैड़ी का दृश्य सबसे अलग होगा। यहां 80 हजार दीयों से सजाई जा रही रंगोली अद्भुत दृश्य पेश करेगी, जो भक्तिभाव, सौंदर्य और कला की गहराई को एक साथ दर्शाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अयोध्या के दीपोत्सव के इतिहास में पहली बार राम की पैड़ी पर दीप रंगोली सजाई जा रही है। यह पारंपरिक चौक पूरने की कला पर आधारित है। इसमें मिट्टी के दीयों, रंगों और फूलों का संयोजन किया जा रहा है। इस अद्वितीय रंगोली में लगभग 80 हजार दीपों को इस प्रकार सजाया जाएगा कि ऊपर से देखने पर यह ईश्वर आमंत्रण के प्रतीकात्मक रूप में नजर आएगी, मानो खुद श्रीराम के आगमन के स्वागत में धरती सजी हो।
रंगोली की डिजाइन में कलश, स्वास्तिक और कमल पुष्प जैसे पारंपरिक प्रतीकों का समावेश किया गया है। कलश समृद्धि और मंगल का प्रतीक है, स्वास्तिक शुभता और सकारात्मकता का संकेत देता है और कमल पुष्प भक्ति, पवित्रता व श्रीराम के दिव्य जीवन का प्रतीक माना गया है। इन प्रतीकों को रंगों और दीपों से इस तरह गूंथा जा रहा है कि प्रत्येक रेखा और हर दीया श्रद्धा, सौंदर्य और संस्कृति की कथा कहेगा ।
डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की फाइन आर्ट विभाग की 50 छात्राओं ने मिलकर इस दीप रंगोली को डिजाइन किया है। हर छात्रा अपने हिस्से की दीया सज्जा, रंग भराई और पैटर्न बनाने में पूरी निष्ठा से लगी हुई हैं। रंगोली की संयोजक डॉ. सरिता द्विवेदी ने बताया कि राम की पैड़ी पर बनाई जा रही यह रंगोली हमारे लिए केवल एक कला नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है।
उन्होंने बताया कि रंगोली बनाने में पारंपरिक गेरू, चावल के आटे, प्राकृतिक रंग और मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है ताकि इसकी मौलिकता और पारंपरिक सौंदर्य बना रहे। दीपों को सजाने के लिए मिट्टी के कारीगरों की भी मदद ली गई है। हर हिस्से को इस तरह जोड़ा गया है कि जब सूर्य अस्त होगा और दीप प्रज्ज्वलित होंगे, तब पूरी रंगोली एक दिव्य छवि में परिवर्तित हो जाएगी।


