राजस्थान के कोटा जिले के पीपल्दा तहसील के इटावा कस्बे में शनिवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। बच्चों से भरी एक स्कूल वैन बोलेरो से टकरा गई, जिससे दोनों वाहन पलट गए। हादसे में 12 बच्चे घायल हो गए, जबकि इलाज के दौरान चौथी कक्षा की छात्रा पारुल और 10वीं कक्षा की छात्रा तनु नागर की मौत हो गई।स्थानीय लोगों की मदद से सभी घायलों को इटावा के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से सात गंभीर रूप से घायल बच्चों को कोटा रेफर किया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, टक्कर इतनी भीषण थी कि कई बच्चे करीब 20 मीटर दूर जा गिरे।
पुलिस जांच में प्रारंभिक कारण वैन का टायर फटना बताया गया है। हादसा उस समय हुआ जब बच्चे ‘स्कूल ऑफ जॉय एंड हैप्पीनेस’ जा रहे थे। दुर्घटना स्थल 132 केवी जीएसएस के पास बताया जा रहा है। बोलेरो में सवार दो लोगों को भी हल्की चोटें आई हैं।
डीएसपी शुभम जोशी ने बताया कि घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया है और मामले की जांच जारी है। घटनास्थल से मिले वीडियो में सड़क पर बच्चों की कॉपियां, किताबें और बैग बिखरे पड़े दिखाई दे रहे हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि जिस इको वैन में बच्चे सवार थे, वह प्राइवेट नंबर की गाड़ी थी और 7-सीटर वाहन में 12 बच्चे बैठाए गए थे, जो मोटर वाहन अधिनियम का खुला उल्लंघन है। पुलिस अब वाहन मालिक और स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी की भी जांच कर रही है।
हादसे की जानकारी मिलने के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, जिला कलेक्टर पियूष समारिया, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी राजीव दत्ता भी एमबीएस अस्पताल पहुंचे और घायल बच्चों की स्थिति के बारे में चिकित्सकों से जानकारी ली। इस दौरान अस्पताल परिसर में ही शिक्षा मंत्री मदद दिलावर ने एक कमरे के अंदर इमरजेंसी बैठक लेकर जांच के आदेश दे दिए।
वहीं, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि हादसा काफी दुखद और गंभीर है। इस हादसे में जिसकी भी लापरवाही होगी। उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन हमारी पहली प्राथमिकता है जो बच्चे हादसे में घायल हुए हैं, उनको प्राथमिक और बेहतर उपचार मिल सके। इसके लिए चिकित्सकों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इलाज में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जा रही है।
जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी राजीव दत्ता ने कहा कि हादसा काफी दुखद और गंभीर है। दो बच्चों की मौत से शोक की लहर है। हमारी पहली प्राथमिकता घायल बच्चों को समय पर उपचार मिल सके, उस पर है। अगर किसी बच्चे को दिल्ली या जयपुर भी रेफर करना पड़ा तो वह भी किया जाएगा, लेकिन उनकी जान बचाई जाएगी। वहीं, दत्ता ने यह भी कहा कि आरटीओ और जिला कलेक्टर के साथ बैठक की जा चुकी है। ग्रामीण क्षेत्र या शहरी क्षेत्र जहां पर भी स्कूल की बसों या अन्य निजी बसों का बच्चों को लाने ले जाने के लिए संचालन होता है। उन वाहनों की पूरी जांच होगी। उनको सर्टिफिकेट दिया जाएगा, उसके बाद ही उनका संचालन होगा।


