जयपुर में मंगलवार सुबह से सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह अव्यवस्थित हो गया है। जेसीटीसीएल की बगराना डिपो स्थित लो-फ्लोर बसों का संचालन संभालने वाली निजी फर्म पारस ट्रेवल्स के ड्राइवर अचानक हड़ताल पर चले गए। इसके कारण शहर की 100 लो-फ्लोर बसें सड़क पर नहीं उतरीं। जिससे ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों, स्कूल-कॉलेज स्टूडेंट्स, मरीजों और आम पैसेंजर्स को परेशान होना पड़ा।
, जयपुर में हर दिन करीब एक लाख लोग इन बसों से सफर करते हैं, लेकिन लो फ्लोर बस संचालकों की हड़ताल की वजह से मंगलवार को बड़ी संख्या में पैसेंजर्स परेशान हुआ। आज सुबह से ही बस स्टॉप पर लंबी कतारें लगी रहीं। कई रूटों पर बसें न मिलने के कारण लोगों को निजी वाहनों, कैब और ऑटो पर निर्भर रहना पड़ा।
इस दौरान बगराना डिपो के बाहर ड्राइवरों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि पारस ट्रेवल्स फर्म लगातार श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रही है।ड्राइवरों को मेंटेनेंस के बिना खराब बसें चलाने को मजबूर किया जाता है। जिससे हादसे का खतरा बढ़ता है। बीते दिनों टोंक फाटक पुलिया पर बस में लगी आग और पिछले दिनों में हुए कई हादसे इसी लापरवाही का नतीजा हैं।
ड्राइवरों ने आरोप लगाया कि पारस कंपनी के मालिक को पूर्व ओएसडी वीरेंद्र वर्मा को घूस देते हुए एसीबी ने गिरफ्तार किया था। लेकिन इसके बाद भी कंपनी पर कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया गया। ऐसे में इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।
- ड्राइवरों ने कहा कि प्रशासन जन तक हमारी 5 सूत्री मांगों को पूरा नहीं करता है। हमारी हड़ताल जारी रहेगी।
- दुर्घटना में मौत हुए चालक कुलदीप मीणा के परिवार को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।
- ड्यूटी के दौरान लकवा ग्रस्त चालक रामजीलाल शर्मा के लिए 3 लाख रुपए मदद और भविष्य की सुरक्षा दी जाए।
- दोनों चालकों के वेतन, ओवरटाइम, पीएफ, ईएसआई क्लेम और पेंशन का तुरंत भुगतान किया जाए।
- डिपो प्रबंधन को बदलकर ड्राइवरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित किया जाए।
- सभी ड्राइवरों और तकनीकी स्टाफ का सामूहिक दुर्घटना बीमा अनिवार्य किया जाए।
लो फ्लोर बस ड्राइवर की हड़ताल जारी होने की वजह से बगराना डिपो की पूरी 100 बसें खड़ी हैं। प्रशासन और जेसीटीसीएल अधिकारी ड्राइवरों से बातचीत में जुटे हुए हैं, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है। जिससे बस में सफर करने वाली जनता को परेशान होना पड़ रहा है। हालांकि दूसरे डिपो से बसों का संचालन जारी है। हालांकि एक टोड़ी डिपो जहां दूसरी फॉर्म के पास संचालन की जिम्मेदारी है, वहां बसों का संचालन जारी है।


