राजस्थान हाईकोर्ट ने दो दिनों में 28 मौतों के बाद सड़क हादसों पर स्वत: संज्ञान लिया। राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा कि सड़क सुरक्षा के क्या उपाय किए गए। कोर्ट ने बढ़ते हादसों पर चिंता जताते हुए सख्त नियम व प्रभावी कार्रवाई की जरूरत बताई।
राज्य में सड़क हादसों में लगातार बढ़ती मौतों पर चिंता जताते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर और जोधपुर दोनों पीठों ने मंगलवार को स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार से यह बताने को कहा है कि सड़क हादसों को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
पिछले दो सप्ताह में लगभग सौ लोगों की जान सड़क हादसों में जाने की खबरों को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्य पीठ की खंडपीठ—न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी और न्यायमूर्ति अनुरूप सिंघी ने कहा, “यह न्यायालय राजस्थान की सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों पर चिंतित है और पिछले दो सप्ताह में लगभग सौ लोगों की जान लेने वाले लगातार हादसों की खबरों से व्यथित है। इन घातक दुर्घटनाओं की भयावह आवृत्ति तत्काल और समन्वित संस्थागत प्रतिक्रिया की मांग करती है। न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकता जब ऐसे हादसे, जिन्हें उचित सावधानी और नियमन से रोका जा सकता था, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के मौलिक अधिकार को निरंतर क्षीण करते जा रहे हैं।”
अदालत ने कहा कि मृत्यु अवश्यंभावी है, लेकिन असमय मृत्यु से होने वाला दुख न केवल परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह राष्ट्र की सामूहिक शक्ति में भी कमी लाता है। अदालत ने कहा कि संबंधित नियामक अधिकारियों की संवेदनहीनता और लापरवाही भी इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार
अदालत ने मांगा जवाब, 13 नवंबर को अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भारत व्यास, एएजी एन.एस. राजपुरोहित (स्वास्थ्य व राजस्व विभाग), एएजी राजेश पंवार (पीडब्ल्यूडी व स्थानीय निकाय), एएजी बी.एल. भाटी (गृह व परिवहन विभाग) और एनएचएआई के वकील विनय कोठारी को निर्देश दिया कि वे सड़क सुरक्षा के लिए अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी दें।
इसके अलावा, कोर्ट ने अधिवक्ताओं मनवेन्द्र सिंह भाटी, शीतल कुम्भाट, अदिति मोअद, हेली पाठक और तान्या मेहता को अमाइकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) नियुक्त किया है, जो इस मामले में अदालत की सहायता करेंगे। यह मामला अब 13 नवंबर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।


