मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत एवं तकनीकी नवाचारों के माध्यम से सुदृढ़ बनाया जा रहा है। इसी दिशा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशन में राज्य में प्रत्येक नागरिक को बेहतर, पारदर्शी और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम (आईएचएमएस) में आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा आईडी) के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को एकीकृत रूप से सुगम एवं सुलभ बनाने की दिशा में राजस्थान डिजिटल हैल्थ मिशन प्रारंभ किया गया था, जिसके तहत हर नागरिक की आभा आईडी बनाई जा रही है ताकि हर व्यक्ति का हैल्थ रेकार्ड सुरक्षित रहे और उसे उपचार लेने में किसी तरह की परेशानी नहीं आए।
ओपीडी एवं आईपीडी पंजीकरण के समय बनाई जाएगी आभा आईडी-
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड ने बताया कि मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना (एमएनएनआरवाई) के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने वाले सभी नागरिकों का पंजीकरण अब आईएचएमएस में आभा आईडी के माध्यम से अनिवार्य रूप से किया जाएगा। सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक ओपीडी और आईपीडी पंजीकरण के समय मरीज की आभा आईडी बनाई और लिंक की जाए। इस निर्णय से हर नागरिक को ‘‘एक देश, एक स्वास्थ्य आईडी’’ के सिद्धांत के तहत गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकेगा।
डिजिटल हैल्थ रेकार्ड की मिलेगी सुविधा-
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. अमित यादव ने बताया कि आभा आईडी (आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट) प्रत्येक नागरिक की एक विशिष्ट डिजिटल पहचान संख्या है, जो उसके सभी स्वास्थ्य रेकार्ड को एक ही स्थान पर सुरक्षित रखती है। इसके माध्यम से नागरिक अपने स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी को कभी भी, कहीं से भी देख सकते हैं और डॉक्टर से उपचार के समय अपनी सहमति से यह जानकारी साझा कर सकते हैं। इसके माध्यम से नागरिकों को डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड की सुविधा मिलेगी, साथ ही मरीज अपने स्वास्थ्य विवरण मोबाइल ऐप या पोर्टल के माध्यम से तुरंत देख सकेंगे। किसी भी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने पर मरीज की जानकारी सुरक्षित और अधिकृत तरीके से साझा की जा सकेगी, जिससे इलाज की प्रक्रिया तेज और सटीक होगी। पेपरलैस और पारदर्शी चिकित्सा व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। नागरिकों को सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं और डिजिटल सेवाओं का लाभ प्राप्त करने में आसानी होगी।
डेमोग्राफिक प्रमाणीकरण असफल तो ओटीपी से बनेगी आभा आईडी-
डॉ. अमित यादव ने बताया कि यदि किसी कारणवश डेमोग्राफिक प्रमाणीकरण असफल हो जाता है तो मरीज की आभा आईडी ओटीपी प्रक्रिया के माध्यम से बनाई जाएगी। साथ ही, अस्पतालों को ‘स्कैन एंड शेयर’ प्रणाली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, ताकि पंजीकरण की प्रक्रिया तेज और सहज हो सके।
शत प्रतिशत आभा लिंक्ड पंजीकरण के निर्देश, अब तक 6.37 करोड़ आभा बनाकर राजस्थान देश में तीसरे स्थान पर-
डॉ यादव ने बताया कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे रोगी के ओपीडी एवं आईपीडी पंजीकरण के समय 100 प्रतिशत आभा आईडी बनाएं। राज्य में अब तक 6.37 करोड़ से अधिक आभा आईडी बनाई जा चुकी है। इस दृष्टि से राजस्थान देश में तीसरे स्थान पर है। शेष नागरिकों की भी आभा आईडी बन जाने से उन्हें हेल्थ रेकार्ड मोबाइल पर मिल सकेंगे। यह पहल राजस्थान में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के सफल क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और नागरिकों को सुलभ, सुरक्षित एवं डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने की दिशा में राज्य सरकार की बड़ा कदम है।


